Fed Taper क्या होता है

जब भी किसी देश की अर्थव्यवस्था खराब होती है या कोई मंदी आती है तो ऐसे समय में पूरे देश में जो सेंट्रल बैंक होती है वे बैंकों के इंटरेस्ट रेट कम कर देती है इससे यह होता है कि लोगों को कम रेट पर बैंकों से लोन मिलने लगता है और इंटरेस्ट रेट कम होने के कारण लोग अपना पैसा बैंकों में रखने के बजाय दूसरी चीजों में खर्चा करना और निवेश करना पसंद करते हैं इसके कारण एक इकोनामिक एक्टिविटी की शुरुआत होती है और देश धीरे-धीरे मंदी से बाहर आता है!

जब इंटरेस्ट रेट बहुत ज्यादा कम हो जाता है और लोगों के पास पैसे अधिक मात्रा में होती है तो इसका एक नेगेटिव प्रभाव भी होता है कि पूरी देश में महंगाई धीरे-धीरे बढ़ने लगती है इसके कारण इसे रोकने के लिए सेंट्रल बैंक जो है वह इंटरेस्ट रेट जो कम किए हुए होते हैं उसे धीरे-धीरे बढ़ाती है इसी को हम Taper कहते हैं!

Us Taper का पूरी दुनिया के शेयर मार्केट पर प्रभाव

पूरी दुनिया में निवेश और आकार के मामले में हम सभी अमेरिका पर निर्भर है अगर वहां की इकनोमिक में कोई भी चेंज होता है तो इसका प्रभाव पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था और शेयर मार्केट पर पड़ता है अगर अमेरिका में इंटरेस्ट रेट कम होते हैं तो इसका मतलब यह होगा कि अमेरिका के पास जो पैसा अभी जितनी आसानी से उपलब्ध है वह नहीं उपलब्ध हो पाएगा ऐसे में उन्होंने जो विकासशील देशों के शेयर मार्केट में अपने पैसे लगाए हुए हैं उसे वे धीरे-धीरे से निकालेंगे इससे शेयर मार्केट में गिरावट आएगी!

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