Interest Rate क्या होता है

जब आप बैंक में जाते है और अपना पैसा जमा कराने के लिए जाते है तो बैंक आपके पैसे पर आपको ब्याज देती है, और जब आप बैंक से उधार में पैसा लेने के लिए जाते हो तो बैंक आपको दिए हुए पैसे के बदले में ब्याज लेती है यह ब्याज कितना होगा वहां इंटरेस्ट रेट कहलाता है!

जैसे मान लीजिए अपने XYZ बैंक से ₹100 उधार लिए और जब आपने उधार लिए तब इंटरेस्ट रेट 10% था तब आपको उस पैसे को ₹110 बैंक को लौटाने होंगे!

Interest Rate वह रेट होता है जिस पर बैंक किसी को लोन देती है, तो आपको जो ब्याज देना होता है और वही अगर आप बैंक में अपना पैसा जमा कराते हैं तो बैंक आपको जो पैसे (रिटर्न) देती है, उसको इंटरेस्ट रेट कहते हैं!

Interest Rate बढ़ने का मतलब होता है कि लोगों और कंपनी को लोन अधिक कीमत पर मिलेगा जिससे कि वह अपने कंपनी का विस्तार आसानी से नहीं कर पाएंगे, इससे डिमांड में कमी आती है और जिसके कारण महंगाई पर अंकुश लगता है वहीं दूसरी ओर जब इंटरेस्ट रेट कम हो जाता है तो लोगों को कम कीमत पर लोन मिलने लगता है जिसके कारण से वे अपना पैसा बैंक में रखने के बजाय दूसरी चीजों में निवेश करते हैं जिससे Economic Cycle शुरू होता है और इसके साथ ही साथ डिमांड अधिक होने के कारण महंगाई भी बढ़ती जाती है आम तौर पर यह देखा गया है कि जब कोई बहुत बड़ी समस्या आ जाती है तो देश अपने देश में इंटरेस्ट रेट कम कर देती है, जिससे कि वह समस्या से आसानी से निकल सके!

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Interest Rate is the rate of interest that bank charge to the loan

इंटरेस्ट रेट का शेयर बाजार पर प्रभाव

जब पूरी देश में इंटरेस्ट रेट कम होता है तो लोगों के पास पैसा अधिक होता है जिसके कारण से वे बैंकों से लोन लेकर अपने बिजनेस को बढ़ाते हैं और इसके कारण से शेयर बाजार भी बढ़ता है लेकिन जब इंटरेस्ट रेट में वृद्धि होती जाती है तो लोगों के पास पैसा कम होने लगता है का नेगेटिव प्रभाव से मार्केट में पड़ता है और उसमें गिरावट आती है अगर आप लंबे समय में देखेंगे तो इंटरेस्ट रेट बढ़ने के साथ-साथ शेयर बाजार भी बढ़ता है, क्योंकि कोई भी देश इंटरेस्ट रेट तभी बढ़ाता है जब उन्हें लगता है कि इकोनामिक अच्छा प्रदर्शन करने वाली है और वे तभी इंटरेस्ट रेट बढ़ाते हैं!

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