Why Price Action is the Best Indicator

जब शेयर मार्केट में ट्रेडिंग कि बात आती है तो बहुत तरह के Technical Indicator आते है कुछ बहुत ही सरल है कुछ बहुत ही कठिन है, लोग अपने हिसाब से इंडिक्टर का उपयोग करते है, लेकिन इन सब में से Price Action सबसे अच्छी Technical Indicator है, जब आप कोई भी इंडिकेटर का उपयोग करते है तो वे सभी का मूल Price ही है, जो भी इंडिकेटर बना है वो या प्राइस के आधार पर बना है या फिर वॉल्यूम के आधार पर बना है, हर इंडिकेटर प्राइस को ही ले कर उसके Momentum के आधार पर कोई Signal देता है, तो ऐसे में अगर आप सीधे प्राइस को ही देख कर उसके Action के आधार पर ट्रेडिंग करते है तो इसमें किसी और इंडिकेटर से अच्छा और सीधे तरीके से आप एनालिसिस कर सकते है!

Advantage of Price Action Trading

  • इसको उपयोग करना सबसे अधिक आसान है, इसमें आपको किसी तरह के Indicator की जरुरत नहीं होती है!
  • इसमें आपको किसी और Indicator से पहले Entry और Exite का पता चलता है!
  • किसी और इंडिकेटर की तुलना में इसमें आपको अधिक Clarity के साथ Trade कर सकते है!
  • Support और Resistance का पता लगाना इसमें आसान होता है!

What is Sideways Market

जब मार्केट कहा जा रहा अंदाजा नहीं लगा सकते है तब उसको Sideways Market कहते है, इसमें मार्केट ना तो ऊपर जाती है और ना ही नीचे की तरफ जाती है, इसमें वह एक रेंज में रहती है और उसी के आस पास ट्रेड करती है, इस तरह के मार्केट में Trading करना सबसे मुश्किल का काम होता है क्योकि इसमें हमको मार्केट की दिशा का पता नहीं रहता है, शेयर कब कहा से ऊपर जाएगा या कब कहा से नीचे इसमें आप मार्केट को टाइम भी नहीं कर सकते!

Sideways Market Important Point

  • इसमें शेयर एक रेंज में होता है, और उसी में ट्रेंड करता रहता है!
  • इसमें शेयर बार बार अपने Support और Resistance के पास टकराता है!
  • इस तरह के मार्केट में ADX 20 से कम हो जाता है!
  • Sideways Market को हम Rest Priod के नाम से भी जानते है!
  • इस मार्केट में आपको पैसे का नुकसान भले अधिक न हो लेकिन आपको Opportunity Loss अधिक होता है!

Dow Theory in Technical Analysis

अगर शेयर मार्किट में जब भी टेक्निकल एनालिसिस कर के पैसे कमाने की बात आती है तो सबसे पहले Dow Theory सबसे महत्वपूर्ण है, जिसके आधार पर ही पूरा Technical Analysis आधारित है !

Dow Theory कहती है किसी भी शेयर की वर्तमान में जो कीमत है उस पर सारी चीजें कंपनी का फंडामेंटल, लोगों का सेंटीमेंट, आने वाली कोई भी न्यूज़, ग्लोबल मार्केट का प्रभाव और भविष्य में जो होने वाला है उन सारी चीजों को मिलाकर बनता है, अगर किसी की शेयर में अच्छी खबर आने वाली है तो उसकी कीमत पहले भी बढ़ जाएगी और अगर कोई खराब खबर या न्यूज़ आने वाली है तो उसकी कीमत पहले ही कम हो जाएगी, Market में जब आप Price Action करते है to तो भविष्य में क्या होने वाला है उसे शेयर के बारे में पता कर सकते हैं! जब हम किसी शेयर के किसी Time Frame में Analysis करते हैं तो हर Time Frame में जो Pattern बनते हैं वह उस Time Frame में अपने आप को पूरा करता है!

Dow के इसी Theory आधार पर ही पूरा टेक्निकल एनालिसिस आधारित है, मार्केट में हमें जो भाव दिखाया जा रहा होता है उसे सारी चीजें पता होती है कब किस कंपनी में कौन सी न्यूज़ आने वाली है मार्केट हर चीज को पहले से ही Discount कर के चलती है!

Gap-Up aur Gap- Down

Money

जब भी कोई शेयर जो की किसी Trend या Range में ट्रेड कर रहा है, जब वह अपने रेंज से एक समय के बाद ऊपर या निचे कि तरफ Gap बनता है तब हम उसको Gap-Up या Gap-Down कहते है, Technical Analysis में इसका बहुत अधिक महत्व है जब भी आपको किसी चार्ट में इस तरह कि चीज़ देखो तो आपको इसमें ट्रेड जरूर करना चाहिए, इस तरह के Gap चार्ट में भी दुर्लब होते है, इस कारण से इसका महत्व और भी अधिक हो जाता है !

Gap-Up क्या होता है

जब शेयर अपने रेंज से ऊपर के तरफ Gap बनता है और फिर उसको उस Time Frame में नहीं काटता है, तो उसको गैप अप कहते है, इसके बनने के बाद आपको शेयर में तेज़ी करनी होती है, यह जितने बड़े Time Frame के चार्ट में बनता है, उसको उतना ही अधिक महत्व होता है!

Gap-Down क्या होता है

जब कोई शेयर अपने Time Frame के Closing Price के नीचे कि ओर Gap बनाता है, तो उसको Gap-Down कहते है, इसके बाद आपको शेयर में मंदी करनी होती है, अगर कोई शेयर तेज़ी के ट्रेंड है और उसके बाद गैप डाउन बनाता है तो हमे उस शेयर से सावधान हो जाना चाहिए, और अगर कोई शेयर पहले से ही Correction में है, तो हमको इस शेयर से निकल कर, उसमे मंदी ( बिकवाली ) करनी चाहिए !

शेयर मार्केट में बिना कारण गिरावट तेज़ी क्यों आती है

“Market Moves Reasion Follow” लोग शेयर मार्केट के बारे मे कहते है, इसमें जो गिरावट आती है वह किसी कारण के वज़ह से होती है, लेकिन आप देखोगे तो पाओगे कि मार्केट में गिरावट या तेजी पहले आती है और उसके बाद जो कारण है वह आता है ! इसे आप इस तरीके से भी कह सकते हैं कि जब मार्केट में गिरावट आती है तो लोगों को उसके कारण का पता चलता है !

 
अगर मार्केट तेजी में है तो लोग उसके हिसाब से कारण बताते हैं और अगर मार्केट मंदी में है तो लोग उसके हिसाब से कारण बताते हैं तेजी के मार्केट में सभी लोग अच्छी-अच्छी बातें ही करते हैं अच्छी अच्छी चीजों के बारे में ही बताते हैं और वही मंदी के समय में दुनिया भर की खराब ख़बरें जिनका शेयर मार्केट से संबंध भी नहीं रहता उसके बारे में बताते हैं या यह कहें कि वे कारण ढूंढने में लग जाते हैं !

 

 
जैसे भारत सरकार ने 23 मार्च 2020 में पूरे देश में लॉकडाउन लगाया था लेकिन शेयर बाजार में जनवरी से ही गिरावट आना चालू हो गया था, और जब लॉकडाउन लगा उसकी बात शेयर मार्केट में तेजी आना चालू हो गया क्योंकि मार्केट को पता था कि आने वाले समय में यह सारी चीजें फिर से ठीक हो जाएगी और अगर आप अभी की वर्तमान स्थिति भी देखेंगे तो हमारे देश की जीडीपी उसमें गिरावट है देश में बेरोजगारी है फिर भी हमारे देश और दुनिया भर के शेयर मार्केट अपनी ऊंचाई पर हैं !
 
इसके अलावा 2014 में जब हमारे देश में चुनाव हो रहा था तब शेयर मार्केट में गिरावट आई थी तब लोगों का कहना था कि यह गिरावट ग्लोबल इकनॉमिक के कारण आ रही है उस समय Portugal, Italy, Greece, Spain मे मंदि था वहां का बैंकिंग सिस्टम फेल हो गया था और इस कारण से भारतीय शेयर मार्केट में गिरावट थी लेकिन जब हमारे देश में नरेंद्र मोदी जी की सरकार आए उसके बाद शेयर मार्केट में तेजी आ गई लेकिन उस समय भी ग्लोबल इकनॉमिक में समस्याएं थी !
 
Market को जो कुछ भी होने वाला होता है, उसके बारे में पहले से ही पता चल जाता है, इस कारण से उसमे पहले से ही तेज़ी मंदी आती है, इसके आलावा जब कोई अच्छी खबर आने वाली होती है उससे पहले भी शेयर मार्किट में गिरावट आती है ! अगर किसी कंपनी का Dividend आने वाला होता है, तो उससे पहले ही शेयर में तेज़ी आ जाती है !
 
 
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